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शुक्रवार, मई 28, 2010

मेरे बेटे का स्कूल में पहला दिन

कल हर्ष पहली बार स्कूल गया. पिछले 4 महीनों से वह उत्साह से लबरेज था और रोज़ रोज़ मुझसे यही पूछता था कि पापा मै स्कूल कब जाउंगा?मेरा  दुर्भाग्य देखिये  कि उसका स्कूल में पहला दिन देखने के दिन ही मै घर में नहीं था.उसे सुबह 6.20 पर स्कूल पहुचना था और मेरी ट्रेन ही 6.20 में आयी. उसकी मां ही   उसे लेकर स्कूल गयी. उस दिन   वह भोर में 3 बजे ही उठ कर बैठ गया और मां द्वारा सुलाने की लाख कोशिश करने पर भी  नहीं सोया. बार बार  यही कहता था कि मुझे स्कूल जाना है. पर उस बेचारे की हिम्मत स्कूल के गेट पर पहुंचते ही टूट गयी और वह रोने लगा.काफी समझाने बुझाने के बाद वह अंदर गया. और कहते हैं न  कि " प्रथम ग्रासे मक्षिका पातम" वही बात हो गयी .उसके स्कूल के  नर्सरी की  क्लास 9.30 तक ही होती है  लेकिन हमें स्कूल की छुट्टी का समय 11.00 बजे पता था जो कि सिनियर क्लास की छुट्टी का समय है. इस लिये उसकी मां उसे लेने 11.00 बजे गयी तब जाकर पता लगा कि वह 1.30 घंटे से वहां हमें  ढुंढ रहा था और रो  रहा था.बेचारा! अब जब मै आफिस से घर आया तो उसने पहला सवाल  ही यही दागा कि पापा आप मुझे लेने क्यों नहीं आये? अब क्या बताउं कि मुझे उसे कितनी सफाई देनी पडी़.
आज स्कूल में उसका दूसरा दिन था. आज उसे  मै ही  स्कूल छोड़ने गया था . पहले तो उसने रोना रोया कि "मुझे स्कूल नहीं जाना मुझे वहां मजा नही आता".पर बाद में तैयार हो गया. और सुखद आश्चर्य कि वह आज न तो स्कूल के गेट पर रोया नही जब मै उसे लेने गया तो वह रोता हुआ दिखा.बल्कि घर आकर आज वह शुद ही किताब लेकर बैठ गया पढने के लिये.
 मुझे लगता है कि उसे अब धीरे धीरे स्कूल में मजा आने लगा है.
आमीन.