रेलवे बोर्ड ने अपने नये सर्कुलर में कैसर रोगियों को इमरजेंसी कोटा से स्वत: प्रदान होने वाले वाली सीट/बर्थ की संख्या को सीमित कर दिया है.इसने अपने पिछले सर्कुलर में परिवर्तन कर दिया है जिसमें कैंसर रोगियों को प्रथम प्राथमिकता देते हुये इमरजेंसी कोटे से स्वत: ही सीटें प्रदान कर दी जाती थी.
इमेरजेंसी कोटा से तात्पर्य उस कोटे से है जिसके तहत उच्चपदाधिकारियों, सांसद , विधायक अथवा गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को सीटें प्रदान की जाती है.
पिछले 19 मई को जारी इस नये सर्कुलर में अब स्लीपर क्लास में 4 बर्थ, तथा केवल 2-2 बर्थ ही चेयर कार, द्वितीय तथा तृ्तीय वातानुकुलित श्रेणी तथा प्रथम श्रेणी में इमेरजेंसी कोटा के तहत प्रदान की जायेंगी.
आज से लगभग डेढ़ साल पहले उस समय के रेलवे बोर्ड के सदस्य यातायात श्री प्रकाश ने एक सर्कुलर जारी कर यह नियम बना दिया था कि कैंसर के रोगियों को प्रमाण पत्र दिखाने पर आरक्षण के समय ही इमेरजेंसी कोटा से स्वत: ही कन्फर्म सीट/बर्थ मिल जाया करेगी.
कैंसर रोगियों की बडी़ संख्या को देखते हुये ही यह कदम उठाया गया है. अब कम से कम अन्य रोगियों को भी ट्रेन में अंतिम समय में कन्फर्म बर्थ मिल जाया करेगी.
अभी तो होने यह लग गया था कि मुम्बई , दिल्ली तथा चेन्नई जाने वाली गाडियों में कभी कभी तो इमेरजेंसी कोटा वाली सारी की सारी सीटें ही कैंसर रोगियों को अलाट हो रही थी अन्य रोगी या लोग चाहे जितनी भी इमेरजेंसी हो किसी भी तरह कन्फर्म टिकट नहीं पा रहे थे.